बेंगलुरू में चल रहे एयरो इंडिया-2025 (10-14 फरवरी) के दौरान देश-विदेश की 900 कंपनियां हिस्सा ले रही हैं. भारतीय सैनिकों को सशक्त बनाने के लिए सक्षम स्वदेशी कंपनियां अपने-अपने हथियारों और आधुनिक सैन्य उपकरणों को प्रदर्शित कर रही हैं. एक ऐसी ही कंपनी है कानपुर की जानी-मानी एमकेयू. एमकेयू, देश की उन चुनिंदा कंपनियों में से है जिसने मेड इन इंडिया सैन्य उपकरणों का सबसे पहले निर्यात शुरू किया था. एयरो इंडिया में एमकेयू ने खास उपकरण प्रदर्शित किए हैं और निकट भविष्य के क्या प्लान हैं, इस पर टीएफए के एडिटर नीरज राजपूत ने बात की कंपनी के डायरेक्टर वैभव गुप्ता से.
जवाब: आपने बिल्कुल सही कहा है. बैलिस्टिक हेलमेट और बीपी (बुलेट प्रूफ) जैकेट के बाद हमारी कंपनी थर्मल साइट्स के क्षेत्र में खासतौर से अपना हाथ आजमा रही है. एयरो इंडिया में हमने (दिखाते हुए) भारतीय वायुसेना के पायलट्स के लिए मिलिट्री एविएशन साइट्स तैयार किए हैं. पहले इस तरह के उपकरण विदेशों से मंगाए जाते थे. लेकिन अब हम इन्हें अपने देश में ही तैयार कर रहे हैं. इन साइट्स से पायलट को एयर-स्पेस में बेहद साफ ‘सिचुयेशनशल-एवयरनेस’ रहेगी ताकि, वे अपने मिशन को सफलता पूर्वक अंजाम दे सकें. इन नाइट विजन गोगल्स (नेट्रो एनबी-3101) के जरिए रात के घुप अंधेरे में भी पायलट को क्लीयर विजन मिल सकता है.
जवाब: ये एके-47 और दूसरी असॉल्ट राइफल पर लगने वाली साइट्स हैं ताकि सैनिकों को निशाना लगाने में मदद मिल सके.
जवाब: बहुत सही सवाल किया है आपने. ये क्यों खास हैं, इससे पहले मैं आपको बताना चाहता हूं कि एमकेयू ने फ्रांस की बड़ी कंपनी साफरान के साथ इन साइट्स के लिए पार्टनरशिप की है. राइफल पर फिट होने वाले एडवांस वेपन साइट के साथ हमने इसका इनपुट-आउटपुट वीडियो भी दिया है. इससे होगा क्या कि, जो भी गतिविधि जंग के मैदान में या फिर ऑपरेशन्ल एरिया में हो रही है, उसका पूरा डाटा इस छोटे से टैब में सेव हो जाएगा. टैब की स्क्रीन का इस्तेमाल निशाना लगाने के लिए भी किया जा सकता है.
जवाब: मान सकते हैं.
जवाब: ये टैंक पर लगने वाले साइट्स हैं. इससे टैंक के अंदर बैठकर भी क्रू को बाहर का पूरा नजारा देखा जा सकता है. बैटलफील्ड को देखने के लिए क्रू को बाहर नहीं निकलना होगा और हताहत होने की आशंका बेहद कम हो जाती है. इसके लिए हमने टैंक के बाहर दो सेंसर दिए हैं जबकि साइट अंदर है. इसमें थर्मल सेंसर और डे-ऑप्टिक्स दोनों हैं. इससे होगा क्या कि रात का अंधेरा हो या फिर रेत की आंधी, धुंआ या फिर धुंध, टैंक ऑपरेटर बेहतर तरीके से मैनुवर कर सकते हैं.
जवाब: बिल्कुल. ये जो आप नाइट साइट्स देख रहे हैं (नेट्रो एमडब्लू 5000 साइटिंग सिस्टम), ये हमने ग्रेनेड लॉन्चर, रॉकेट लॉन्चर और लार्ज कैलिबर वेपन्स में फिट किया है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि इसे लगाने से सैनिकों की निशाना लगाने की सटीकता 80 प्रतिशत तक बढ़ गई है. जबकि बिना साइट्स के ये महज 20-30 प्रतिशत ही रहती हैं. खास बात ये है कि इस ग्रेनेड लॉन्चर साइट को हम नॉर्थ अफ्रीका के एक देश को एक्सपोर्ट कर रहे हैं.
[एमकेयू के डायरेक्ट वैभव गुप्ता से ये खास मुलाकात, आप टीएफए के यूट्यूब चैनल, ‘फाइनल असॉल्ट’ पर देख सकते हैं: https://youtu.be/LI4RN6meOFk?si=7piNACie8eHq-ZOg